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कृषि में आधुनिक तकनीकों के विकास : सिंह

श्री राधा मोहन सिंह, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा अध्यक्ष, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि में आधुनिक तकनीकों के विकास और उनके निरंतर बढ़ते प्रयोग के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिक समुदाय की कृषि से संबंधित बाधाओं को दूर करने प्रतिबद्धता के लिए भी तारीफ की है। माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री आईसीएआर की 87वीं वार्षिक आम बैठक को एनएएससी, नई दिल्ली में गुरूवार को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कृषकों के खेतों में बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के आयोजन पर भी संतोष व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने कृषकों में प्रौद्योगिकी एवं ज्ञान सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए इस कार्य में तेजी लाने को कहा। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कृषकों की आय बढ़ाने में जैविक कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। इस क्रम में उन्होंने मृदा स्वास्थ्य की तुलना मानव स्वास्थ्य से करते हुए अन्य राज्यों में भी सिक्किम की जैविक खेती के मॉडल को अपनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री ने सिक्किम को जैविक प्रदेश घोषित किया था। मंत्री महोदय ने इस चुनौती भरे क्षेत्र में नई तकनीकियों के विकास के लिए गंगटोक, सिक्किम में राष्ट्रीय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र की शुरूआत किए जाने की संस्तुति की थी।

श्री राधा मोहन सिंह ने अपने अभिभाषण में कृषकों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के विकास से संबंधित उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्व मृदा दिवस (5 दिसम्बर, 2015) के आयोजन के अवसर पर 607 कृषि विज्ञान केन्द्रों और आईसीएआर के 80 संस्थानों/ कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा लगभग 2,50,000 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए। उन्होंने यह भी बताया कि मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या में काफी वृद्धि की गई है तथा कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने हेतु संबंधित सुविधाओं को भी सुदृढ़ बनाया जा रहा है। कृषि मंत्री ने इस क्रम में किसान कल्याण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और पहलों के बारे में भी विस्तारपूर्वक चर्चा की। इनमें फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तथा दलहन एवं तिलहन फसलों पर प्रौद्योगिकी मिशन का खास तौर पर उल्लेख किया।

श्री सिंह ने आईसीएआर तथा इसके शैक्षणिक और अनुसंधान संस्‍थानों की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि क्‍लेरियस सेराटोब्राशियम स्‍पे.नॉव. नामक मछली की एक नई प्रजाति की खोज भारत म्‍यामांर सीमा के दलदली स्‍थानों से की गई है। उन्‍नत किस्‍मों एवं संकर प्रजातियों का विकास एवं उनकी गुणवत्‍तापूर्ण बीजों की उपलब्‍धता फसलों की उत्‍पादकता को बढ़ाने के लिए सबसे अहम एवं महत्‍वपूर्ण इनपुट है।

श्री मोहनभाई कल्याणजीभाई कुंडारिया, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्‍यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कृषि वैज्ञानिकों से उत्पादन लागत में कमी लाने और उत्पादन में बढ़ोतरी पर आधारित प्रौद्योगिकियों के विकास का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कृषकों तक संबंधित जानकारियों एवं सूचनाओं खासतौर पर नई योजनाओं से संबंधित का प्रसार त्वरित रूप से सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसान कल्याण हमारा प्रमुख ध्येय होना चाहिए क्योंकि देश की खाद्य सुरक्षा कृषकों पर निर्भर है।

इस अवसर पर गणमान्य व्‍यक्तियों द्वारा गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर द्वारा विकसित मृदा नमी संकेतक तथा आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा विकसित लगभग शून्य इरुसिक अम्ल वाली सरसों की किस्म ‘पूसा मस्टर्ड-30’ के बीज और तेल को भी जारी किया।

इस समारोह में नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द भी उपस्थित थे।

इससे पूर्व डा. एस अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने परिषद की हाल की उपलब्धियों पर प्रस्तुति दी और कृषि की उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए आईसीएआर की नई पहलों और लक्ष्यों के बारे में विस्तापूर्वक जानकारी दी।

श्री सी राउल, अपर सचिव, डेयर एवं सचिव आईसीएआर ने केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्‍यक्तियों का अपने सम्बोधन में स्वागत किया।

श्री एस.के. सिंह, अपर सचिव, डेयर तथा वित्त सलाहकार, आईसीएआर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस वार्षिक आम बैठक में विभिन्न राज्यों के कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं मात्स्यिकी मंत्री; आईसीएआर शासी निकाय के सदस्यगण; आईसीएआर के सदस्य; राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि तथा आईसीएआर एवं डीएसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वैज्ञानिकों ने भी हिस्सा लिया, पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।

 

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