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एनसीयूआई: प्रोजेक्ट अधिकारियों के वेतन में 35% बढ़ोतरी

सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई की शिक्षा कोष कमैटी ने क्षेत्र प्रोजेक्ट अधिकारियों के हित में निधि में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। जबकि कमैटी ने अतीत में 35 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी थी और शेष 35 प्रतिशत की मंजूरी को हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित बैठक में दी गई।

बैठक की अध्यक्षता कमैटी के अध्यक्ष डॉ चंद्रपाल सिंह यादव द्वारा की गई। इफको के एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी और कमैटी के सदस्य का प्रतिनिधित्व इफको के सयुंक्त महाप्रबंधक निर्मल कुमार ने किया। हालांकि केंद्रीय रजिस्ट्रार बैठक में उपस्थित नहीं थे लेकिन डॉ दिनेश और कैंपको के प्रतिनिधि के अलावा सरकार की तरफ से दो प्रतिनिधि वहां मौजूद थे।

बैठक में एनसीयूआई के प्रतिनिधियों ने एक बार फिर कहा कि सरकार को जल्द से जल्द निधि आवंटित कर देनी चाहिए। पाठकों को याद होगा कि कुछ महीने पहले क्षेत्र प्रोजेक्टों से जुड़े आधिकारियों के वेतन में वृद्धि के मुद्दे पर केंद्रीय रजिस्ट्रार आशीष भूटानी की अध्यक्षता में कृषि मंत्रालय में हुए बैठक में सभी हितधारकों के बीच वार्तलाप हुई थी। सरकार ने एनसीयूआई से कहा कि वे सरकार की तरफ से प्रक्रिया पूरी होने तक एनसीयूआई शिक्षा कोष में से उनके वेतन का भुगतान कर सकती है।

निधि के मुद्दे के अलावा सहकारी समितियों द्वारा लाभ कमाने के योगदान में कमी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। एनसीयूआई चाहती है कि सरकारी नॉमिनी इस मुद्दे में हस्तक्षेप करे और बहुराज्य सहकारी समितियों को अपने कर्तव्य को पूरा करने को कहे। सरकारी नॉमिनी ने इस संदर्भ में कहा कि एमएससीएस अधिनियम 2002 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके द्वारा सरकार उन पर दबाव डाले। अंत में यह फैसला लिया गया कि सरकार देश के सबसे बड़े शहरी सहकारी बैंक सारस्वत बैंक को पत्र लिखकर उन्हें भी निधि जुटाने के लिए आग्रह करेगी।

इफको जिसका शिक्षा कोष में सबसे अधिक योगदान है, वे चाहती है कि प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की ऑनलाइन निगरानी की जानी चाहिए। निर्मल कुमार ने पाई-चार्ट और बार में  प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ाने पर जोरदार बहस की।

सहकारी शिक्षा फंड के लिए 75 करोड़ में से 12 से 13 करोड़ लभाविंत सहकारी समितियों द्वारा दिया जाता है। गौरतलब है कि एमएससीएस अधिनियम 2002 के तहत सहकारी समितियां अपने लाभ का 1 प्रतिशत शिक्षा फंड के रूप में एनसीयूआई को प्रदान करती है।

दरअसल 42 क्षेत्र प्रोजेक्ट हैं जिसमें लगभग 120 लोग कार्य कर रहे हैं। इन परियोजनाओं पर सलाना खर्च करीब 4 करोड़ रुपये का होता है, सूत्रों का कहना है।

इससे पहले सरकार और एनसीयूआई दोनों ने 50:50 के आधार पर खर्च करने पर सहमति जताई थी लेकिन जब से सरकार ने खर्च में कमी की है तब से स्थिति गड़बड़ा सी गई है। लेकिन बैठक में सरकार ने एनसीयूआई को कुशलतापूर्वक परियोजनाओं के संचालन के लिए सहकारी शिक्षा कोष से फंड निकालने की अनुमति प्रदान कर दी है।

सहकारी शिक्षा फंड कमैटी सात सदस्यों की कमैटी है जिसमें एनसीयूआई के अध्यक्ष, एनसीसीटी के डीजी, वैंकुठ मेहता के हेड सदस्य है। सीईएफ में दो बहुराज्य सहकारी समितियों इफको और कैंपको है। अन्य दो सदस्यों में सरकारी नॉमिनी- केंद्रीय रजिस्ट्रार और वित्तीय सलाहकार हैं।

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