नफेड

क्या सरकार बिजेन्द्र को नफेड से निकालना चाहती है?

इन दिनों कृषि सहकारी संस्था नफेड अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, वह अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने में भी सक्षम नहीं है। नफेड की बोर्ड ने पिछले सप्ताह आयोजित बोर्ड की बैठक में इस विषय पर चर्चा की।

इस बीच, सूत्रों ने भारतीय सहकारिता को बताया कि सरकार नफेड को आर्थिक संकट से बचाना तो चाहती है लेकिन सरकार द्वारा रखी गई शर्तों को वर्तमान बोर्ड द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। सरकार तभी मदद करेगी जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों अपने पदों से इस्तीफा दे देंगे। गौरतलब है कि श्री वी आर पटेल और बिजेन्द्र सिंह मौजूदा समय में संस्था के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष है।

भारतीय सहकारिता से बातचीत में बिजेन्द्र सिंह, जिन्होंने पिछले सप्ताह एनसीसीएफ के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था, ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है यह केवल अफवाह है।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने दो बार इस्तीफा देने के बारे में सोचा था, एक बार मैंने सरकार को पत्र भी लिखा था और दूसरे बार यह प्रस्ताव मैनें बोर्ड के समक्ष भी रखा था, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला, सिंह ने कहा।

इस बीच, सहकारी संस्था बैंकों से ऋण के जोखिम से निपटने में सक्षम नहीं है और अंतिम तारीख 30 सितंबर है। सहकारी संस्था अब हर महीने ऋण पर ब्याज देने में भी सक्षम नहीं है।

इस पहले भारतीय सहकारिता से बातचीत में एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्रपाल सिंह यादव ने भरोसा दिया था कि सरकार नफेड को मजबूत करने में सहयोग करेगी, इस खबर को भारतीय सहकारिता जिसका शीर्षक “दोषियों को सजा देकर, नेफड को जीवित रखना '' प्रकाशित भी की थी।

इस पहले, केंद्रीय राज्य मंत्री मोहनभाई कुंदरिया ने कहा था कि नफेड की संपत्ति देश-भर में फैली हुई है और उन्हें बेचकर नफेड को आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रस्ताव मंत्रालय के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस स्टोरी का शीर्षक “नफेड की परिसंपत्तियों को बेचकर, नफेड बचाना” जिसे अतीत में भारतीय सहकारिता ने प्रकाशित किया था।

अभी सहकारी संस्था भारी कर्ज से जूझ रही है और करीब 1300 करोड़ रुपये की जरूरत है उसे फिर से मजबूत बनाने के लिए।

  

 

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  1. NAFED IS THE PRIDE OF INDIA’S CO-OPERATIVE MOVEMENT. ITS PAST ACHIEVEMENTS AND GLORY WILL NOT ALLOW IT TO FADE AWAY. WE PRAY TO NDA GOVERNMENT TO SAVE NAFED AT ANY COST. .COOPERATIVES ARE STILL THE BACK BONE OF COUNTRY’S RURAL ECONOMY. SHGs ARE ALSO DOING GOOD WORK BUT CAN NOT REPLACE CO-OPERATIVES. IN INDIA. IF AT ALL SOME CO-OPERATIVES ARE VICTIMS OF SOME VESTED INTERESTS THAT CAN NOT BE TAKEN AS A RULE BUT MERE ABERRATIONS. CENTARL GOVERNMENT IS VERY POSITIVE TOWARDS THIS PRIMER SECTOR OF ECONOMY AND WILL NEVER LEAVE IT AN ORPHAN.

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