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बिस्कोमॉन के अध्यक्ष कागजी शेर: विशाल

बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह राष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हासिल करने का दावा करते है, वह सब वास्तव में केवल कागजी शेर हैं।

स्वर्गीय अजीत सिंह के बेटे विशाल सिंह ने भारतीय सहकारिता से कहा कि बिस्कोमॉन के चुनाव के बाद सभी सहकारी संस्थाओं में  हुये चुनाव में हम लोग जान चुके हैं कि सुनील सिंह की क्या हैसियत है, विशाल सिंह ने सुनील सिंह पर निशाना साधते हुये कहा।

विशाल सिंह जो अकसर राष्ट्रीय सहकारी महासंघों की बोर्ड में शामिल होने के लिये पटना से दिल्ली का दौरा करते रहते हैं, ने कहा की एक सच्चा सहकारी नेता कभी भी अपनी बड़ाई नहीं करता, जिसकी आदत सुनील को है। उन्होंने कहा कि राज्य सहकारी बैंक में शुक्रवार को हुये चुनाव में उन्होंने रामेश चौबे को खो दिया था लेकिन बाद में उन्होंने लॉटरी के बल पर जीत हासिल की।

एक जाने-माने प्रसिद्ध व्यक्ति तपेश्वर सिंह के वंशज के विशाल सिंह एक युवा सहकारी नेता पटना स्थित तपेनदू शहरी सहकारी बैंक के अध्यक्ष हैं। उनके दादा स्वर्गीय तपेश्वर सिंह को बिहार राज्य के सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने का श्रेय दिया जाता है और बिस्कोमॉन को एक मजबूत संस्था बनाने में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया था और अब वह संस्था सुनील सिंह और उनकी टीम के नियंत्रण में है।

यहां तक कि बिस्कोमॉन के चुनाव में भी अगर मुझे सिर्फ 11 वोट अधिक मिल जाते तो, मैं लगभग बराबरी पर होता। ऐसा आदमी जो अपनी बड़ाई करने से कभी थकता नहीं है और उसे केवल 21 वोट ही मिले तो उसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।

राज्य सहकारी संघ के चुनाव में बिस्कोमॉन के अध्यक्ष ने देखा की चुनाव की गतिविधियां उनके अनुसार नहीं हो रही है, तो उन्होंने जल्दी से अपना नाम वापस ले लिया था। विशाल सिंह ने पूछा कि क्यों उन्होंने बाद में अपना नाम वापस लिया था। बाद में उनकी पूरी टीम के लोग उनके दिल्ली दौरा के समय उनके इर्द गिर्द होते हैं उन सब को बुरी हार का सामना करना पड़ा है।

लेकिन सुनील ने अपने पैनल के एक आदमी बैद्धनाथ सिंह को जीताने की पूरी कोशिश की लेकिन आखिरी में उसे जीताने में विफल रहे। हमारे सहयोगी विनय शाही को चुना गया, विशाल ने कहा।

पाठकों को याद होगा कि बिस्कोमॉन के चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट ने बाद में वापस उच्च न्यायालय में भेजा गया था। फिर बाद में कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ सुनील सिंह और उनकी टीम ने राहत के लिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

बाद में चुनाव कराया गया और सुनील सिंह और उनकी टीम ने सभी सीट पर जीत हासिल की। ''मुझे बिस्कोमॉन के चुनाव में सुनील सिंह द्वारा की गई जल्दबाजी  समझ में नहीं आई जबकि वे दो साल से बिस्कोमॉन के अध्यक्ष थे। सुनील को लगा कि अगर बिहार चुनाव प्राधिकरण द्वारा बिस्कोमॉन के चुनाव की प्रक्रिया कराई  जाती तो उनका भविष्य खत्म सा हो जाता, विशाल ने कहा।

विशाल ने कहा कि कोई भी राज्य अपनी बकाया राशि किसी को भी हड़पने की अनुमति नहीं देता, बिस्कोमॉन को कुछ भी करने से पहले बकाया राशि का भुगतान करना ही होगा।

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