एनसीसीएफ

एनसीसीएफ: अध्यक्ष बनने की होड़ शुरू

एनसीसीएफ के चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही डेलिगेट और निदेशक बनने की दौड शुरू हो गई है। गौरतलब है कि एनसीसीएफ का चुनाव 6 फरवरी को होना तय हुआ है। इसका मतलब है कि उम्मीदवारों के पास अपने समर्थकों को जुटाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है।

एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह ने हाल ही में एनसीयूआई के अध्यक्ष समेत कई सहकारी नेताओं से इस बाबत मुलाकात की। बात-चीत में एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह ने भारतीय सहकारिता को बताया कि वे पश्चिमी क्षेत्र से उम्मीदवार है जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा आदि जैसे कई राज्य शमिल हैं।

विरेन्द्र सिंह ने ये भी बताया कि वे एनसीयूआई के अध्यक्ष से मिलने गए थे, लेकिन अध्यक्ष एनसीयूआई के कार्यों में कुछ इस तरह व्यस्त थे कि मुलाकात तो हुई पर बात नहीं हो पाई। मैं अपने अगले दौरे में चंद्रपालजी से आराम से मिलूंगा, सिंह ने कहा।

चुनाव नजदीक होने की वजह से एनसीसीएफ का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इस विषय पर चर्चा शुरु होना लाजमी है। एनसीसीएफ के उपनियमों के मुताबिक एक व्यक्ति तीसरी बार अध्यक्ष नहीं बन सकता है और इसके मद्देनजर कुछ लोग विरेन्द्र सिंह के फिर से अध्यक्ष बनने के प्रस्ताव पर सवाल उठा रहे हैं।

लेकिन कई अन्य सहकारी नेताओं का मानना है कि चूंकि सिंह ने अपना दुसरा कार्यकाल पूरा नहीं किया, इसिलिए उन्हें चुनाव की दौड़ में रहने का पूरा अधिकार है। जब भारतीय सहकारिता ने इस विषय पर सिंह से जानना चाहा तो विरेन्द्र सिंह ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

संभावित नामों में विशाल सिंह का नाम भी अध्यक्ष की दौड में आ रहा है हलांकि इसकी भविष्यवाणी अभी करना जल्दबाजी होगा। गौरतलब है कि लगभग 67 से 68 प्रतिनिधि पांच निदेशकों को निर्वाचित करेंगे।

एनसीसीएफ के निदेशकमंडली में 11 निदेशक है, जिनमें से तीन निदेशक मंत्रालय के होते हैं और तीन नेफेड, एनसीयूआई और एनसीडीसी से आते हैं। प्रबंध निदेशक भी बोर्ड के सदस्य होते है, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता है।

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