विशेषसहकारी सफलता की कहानियां

पवार के साथ राधा मोहन का विरोध

पूर्व और वर्तमान केंद्रीय कृषि एवं सहकारिता मंत्रियों की कार्य शैलियों परस्पर विरोधी हैं. श्री शरद पवार के पास आगन्तुको के लिए मुश्किल से समय था, वहीं श्री राधामोहन सिंह उनके स्वागत के लिए तैयार रह्ते हैं.

पवार अनुभवी और दिग्गजों के साथ ही बातचीत करते थे, राधामोहन सभी से मिलते हैं. भारतीयसहकारिता.कॉम को पता चला है कि श्री राधामोहन गैर आइ.ए.एस. के साथ अधिक सहत रह्ते हैं.

अंतर दोनों नेताओं की पृष्ठभूमि में है. पवार खुद एक पूरे सहकारी हैं और श्री सिंह का आर्थिक विकास के इस मॉडल से परिचय कम है. जमीनी स्तर पर पवार के एक सहकारी होने के नाते स्वाभाविक रूप से दोस्तों और दुश्मनों की एक फौज थी और प्रत्येक राष्ट्रीय सहकारी संघ की राजनीति और चुनाव में रुचि लेते थे.

दूसरी तरफ श्री मोहन दिल्ली में आरएसएस मुख्यालय, झंडेवालान पर निर्भर रहते हैं. कहा जाता है कि सहकारी बोर्ड में सरकारी प्रत्याशियों के रूप में लोगों को नियुक्त करने के लिए वह संघ मुख्यालय से मार्गदर्शन लेते हैं.

लेकिन श्री राधामोहन को मंत्रालय में पारदर्शिता शुरू करने का श्रेय जाता है. लगता है कि एक लंबे अंतराल के बाद सहकारिता मंत्रालय में एक सच्चे लोकतंत्र को कायम करने में वह ईमानदारी से रुचि ले रहे हैं.

श्री राधामोहन सहकारी अधिनियम में हुए ऐतिहासिक संशोधन को राज्यों द्वारा लागू करा कर ही पवार को हरा सकते हैं, जिसके लिए राज्य अब तक उत्सुक नहीं दिखाई दे रहे हैं. यदि वह सहकारी समितियों को स्वच्छ कर सकें और सही अर्थों में उन्हें एक जन आंदोलन में बदल सकते हैं तो इतिहास उन्हें पवार से अधिक सम्मान देगा. उनकी शुरुआत अच्छी है और भारतीयसहकारिता उन्हें शुभकामना देता है.

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close