भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) की शासी परिषद के लिए यह एक बड़ा दिन है क्योंकि मोहन मिश्रा के मुद्दे पर कृषि मंत्रालय और एनसीयूआई आमने-सामने आ गये हैं. इस मुद्दे पर विचार करने के लिए देश के विभिन्न भागों से नेता आ गए हैं.
बात मोहन मिश्रा के साथ अन्य लोगों को वापस बुलाने से संबंधित है क्योंकि हाल के महीनों में एनसीयूआई में कर्मचारियों की कमी की स्थिति देखी गई है. लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जो दिखाई दे रहा है बात उतनी ही नहीं है. मुद्द यह है कि NCCT का नियंत्रण किसके हाथ मे जाता है.
जाहिर है, यह एक मामूली प्रशासनिक मुद्दे की तरह दिखता है, लेकिन मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के कूदने से चंदा पाल, अमीन और Bijender जैसे नेताओं के लिए मामला जटिल हो गया है. उन्हें आशंका है कि यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं तो एक गलत परंपरा निर्धारित होगी क्योंकि किसी को भी मंत्रालय से एक पत्र प्राप्त होगा जिससे संस्था के अनुशासन को झटका लग सकता है.
जीएच अमीन की भूमिका वर्तमान गुत्थी में महत्व रखती है. अमीन गुजरात से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके विशेष संबंध है. मामले की संवेदनशीलता के बारे में कृषि मंत्री को समझाने के लिए नेता उनकी तरफ देखते हैं.
एनसीयूआई की उप-कानून के अनुसार, एनसीयूआई की शासी परिषद के पास अपने काम में कोई हस्तक्षेप को अस्वीकार करने के सभी अधिकार हैं. लेकिन मंत्री की संलिप्तता के कारण मामला इतना सरल नहीं रह जाता, भारतीय सहकारिता को सदस्यों में से एक ने कहा.