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केंद्रीय बजट में आय कर पर छूट नहीं

संसद में गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में सहकारी समितियों के लिए आयकर छूट की पेशकश नहीं की गई, जिसकी देश के सहकारी नेताओं द्वारा मांग की गई थी. इस संदर्भ में एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश और श्री मुकुंद अभ्यंकर केंद्रीय मंत्री से मिले थे.

इस सरकार से सहानुभूति रखने वाले cooperators मानते हैं कि यूपीए सरकार ने वर्तमान सरकार के लिए खाली खजाना छोड़ दिया था. इसलिए इस कठिन समय में कर जुटाने का एक भी मौका छोडा नहीं जा सकता है. नई सरकार निश्चित रूप से दो साल में आयकर छूट का लाभ सहकारी क्षेत्र को भी प्रदान करेगी.

अपने बजटीय भाषण जेटली ने सहकारी बैंकों का उल्लेख किया और लोगों को ऋण की पेशकश करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ साथ उन्हें मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया. बड़े बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सभी को कवर नहीं करते हैं और छोटे बैंकों को मजबूत करने की जरूरत है, उन्होंने अपने भाषण में कहा.

कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के प्रयास और कृषि ऋण की दिशा में 8 लाख रुपये करोड़ रुपये की बड़ी राशि के प्रावधान से ज्यादातर ग्रामीण भारत में सक्रिय सहकारी क्षेत्र को बल मिलना निश्चित है.

कांग्रेस की तरफ झुकाव वाले एक वरिष्ठ सहकारी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मैंने यूपीए व्यवस्था में वित्त मंत्री के अधिकारियों सहित हर किसी से मुलाकात की थी और मुझे लगता है वे एक व्यवहार्य आर्थिक मॉडल के रूप में सहकारी समितियों को देख रहे हैं. वर्तमान में कहा जा रहा है कि 50 फीसदी सहकारी समितियां मुनाफा कमा रहीं हैं जिसका अर्थ है कि उन में से केवल 50 प्रतिशत ही कर का भुगतान कर रही हैं.

सहकारी आंदोलन के लिए लड़ाई अभी तक खत्म नहीं हुई है और सरकार पर संयुक्त दबाव डालने की जरूरत बहुत ज्यादा है, एक सहकारी ने कहा.

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