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प्रिय! यह एक सहकारी है : कौर

नौकरशाह भी अजीब होते हैं. उनके बयानों से यह प्रतीत होता है. वे सहकारिता को सरकार के विस्तार के रूप में देखते हैं लेकिन वे मुसीबत में तुरत विपरीत बयान देते हैं.

सुधा डेयरी सहकारी उत्पाद बिहार का गौरव है. Comfed इसका अभिभावक है और वर्तमान में श्रीमती हरजोत कौर नामक एक आईएएस अधिकारी की देखरेख में है. श्रीमती कौर पर मुरादाबाद की एक डेयरी को बहुत सस्ती दर पर दूध की आपूर्ति करने का आरोप लगाया गया है. उसके बाद इस बात ने राजनीतिक रंग हासिल कर ली है.

सभी तरफ से घिर जाने के बाद श्रीमती कौर सहकारी नेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके अपनाने पर मजबूज हो गई हैं.

पूछे जाने पर कि उन्होंने निविदा प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया, श्रीमती कौर ने कहा- Comfed, “सहकारी” संगठन है, “सरकारी” नहीं है. यह सूचना का अधिकार के दायरे से भी बाहर है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि Comfed में राज्य सरकार एक हिस्सा है, लेकिन सरकार के हिस्से के आंकड़े से संबंधित सवाल को टाल गई.

हालांकि सोमवार को एमडी Harjot कौर ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह “किसी भी तरह के जांच” के लिए तैयार है.

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कौर ने पत्रकारों के बीच एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की. इसमें दावा किया गया है कि Comfed और इसके दुग्ध संघों को 2010-11 में कर पूर्व लाभ 20.91 करोड़ रुपये से बढकर 2013-14 में 50.86 करोड़ रुपये से ऊपर चला गया. पिछले तीन वर्षों के दौरान Comfed की जमा राशि 98 करोड़ रुपये से 159 करोड़ रुपये से ऊपर चला गया.

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