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महाराष्ट्र सहकारिता में घोटाला

महाराष्ट्र के महालेखा परीक्षक ने सहकारी समितियों के आयुक्त के कार्यालय को दोषी ठहराया है जिसमें केन्द्र सरकार की योजना के वापसी के बाद भी किसानों के लिए करोड़ों रूपए की अनुमति के लिए कई बैंको से झूठ बोला गया।

जानकारी आरटीआई अधिनियम के माध्यम से प्राप्त की गई है।

डेयरी विकास सहित कई गतिविधियों को सहकारी समितियों द्वारा दिए गए ऋण योजनाओं के तहत कवर किया गया है।

एजी रिपोर्ट ने संदिग्ध रिलीज पर सहकारी समितियों पर कमीशन लेकर बैंको का ब्याज सहित पैसा वापस न करने का आरोप लगाया है।

केंद्रीय सरकार की योजना 2010 में समाप्त हो गई थी। जिसमें शामिल कुल राशि 39.44 करोड़ रुपए थी।

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