विशेष

एनसीयुआई अध्यक्ष पद पर मंडरा रहे खतरे के बादल साफ हुए

आखिरकार यह साफ हो गया कि एनसीयुआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव कम से कम अपने पद पर बने रहेंगे। जिस आदमी ने चुनाव को लेकर श्री यादव को चुनौती दी थी उसने बुधवार को अदालत में उनके खिलाफ मामला वापस ले लिया है।

याचिकाकर्ता राजेन्द्र शर्मा और एनसीयुआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल पटियाला कोर्ट गए थे, जहां श्री शर्मा ने एनसीयुआई अध्यक्ष के खिलाफ अपने आरोपों को वापस लेने की इच्छा व्यक्त की। महिला जज ने जब उनसे पूछा कि वह यह दबाव के तहत तो नही कर रहे तो राजेन्द्र शर्मा ने इनकार किया।    

राजेन्द्र शर्मा के बयान के रिकॉर्डिंग के बाद अदालत ने चन्द्र पाल के खिलाफ मामले को खारिज कर दिया। जिससे चन्द्र पाल की कुर्सी बरकरार ही नहीं रहेगी बल्कि उनके मन को शांति भी मिलेगी।

पाठकों को याद होगा कि राजेंद्र शर्मा ने सरकार नियुक्त मध्यस्थ की अदालत में चन्द्र पाल सिंह को एनसीयुआई  अध्यक्ष के चुनाव के लिए चुनौती दी थी। जिसके बाद भी वह अध्यक्ष पद पर काबिज़ रहे। इसके बाद में श्री चन्द्र पाल सिंह ने अदालत में फैसले के खिलाफ अपील दायर की।

एक बड़े ड्रामे के बाद राजेन्द्र सिंह ने चन्द्र पाल के खिलाफ अपने मामले को वापस ले लिया है। अध्यक्ष के साथ संघर्ष विराम के लिए वह उत्सुक तो थे। हालांकि अपने पहले प्रयास में वे चन्द्रपाल विरोधी लोगों के कारण असफल रहे थे। एक गुप्त स्रोत का कहना है।

इस बार सख्त गोपनीयता बनाए रखी गई। नाम न छापने की शर्त पर एक सहकारी कार्यकर्ता जो कि दिल्ली में राजेन्द्र शर्मा की मेजबानी कर रहा था ने कहा कि शर्मा का फोन बंद था ताकि कोई भी उनसे संपर्क नही कर सके।

श्री शर्मा ने रुककर मामला वापस लेने के अपने निर्णय पर अपने दोस्तों के साथ विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श मौर्य शेरेटन में रात के खाने के साथ समाप्त हुआ जहां सबने “लिवींग कॉपरेटिवली” की कसम खाई।

भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि “मैंने महसूस किया कि कानूनी लड़ाई अंतहीन थी और यह सुप्रीम कोर्ट तक जा सकती हैं। हमारे हिमाचल के लड़कें इस लड़ाई के पक्ष में नहीं थे। हमारे राज्य में सहकारी आंदोलन का विकास एनसीयुआई के सहयोग और समर्थन पर टिका हुआ है।”

एनसीयुआई अध्यक्ष विदेश में एक अंतरराष्ट्रीय सहकारी समारोह में भाग लेने के लिए गए है इसलिए उनसे संपर्क नहीं किया जा सका है। हालांकि, चन्द्रपाल के विरोधियों ने हार नही मानी है और उन्हें आशा है कि यह मामला केंद्रीय पंजीयक के पास वापस होकर चन्द्रपाल सिंह के लिए एक बड़ा सिरदर्द बना रहेगा।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close