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बिस्कोमान: बोर्ड-सदस्य द्वारा सीबीआई जांच की मांग

BISCOMAUN के बोर्ड सदस्यों में से एक श्री विनय साही ने अध्यक्ष श्री सुनील सिंह पर गंभीर वित्तीय दुराचरण का आरोप लगाया है. उन्होंने अवैध बोर्ड जिसके अध्यक्ष श्री सुनील सिंह हैं, की करतूतों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.श्री साही का कहना है कि बहु-प्रचारित परिक्रामी रेस्तरां प्रकरण में भी किरायेदार के साथ किराएदारी का कोई समझौता नहीं है. क्या सरकारी संपत्ति इस तरीके से पट्टे पर दी जातीं हैं? वह पूछते हैं.

पाठकों को पता होगा कि बिस्कोमान की सम्पत्ति देश के विभिन्न भागों में फैली हुई है. इसके कोलकाता के गेस्ट हाउस में वित्तीय कदाचार की रिपोर्ट है.  इसी तरह, इसका झारखंड का गेस्ट हाउस भी औने-पौने दामों पर बेच दिया गया.

इससे पहले, बिहार सरकार के सहकारिता सचिव ने रोहतास जिला के मजिस्ट्रेट को Sidarth सहकारी के बारे में जांच करने को लिखा है.  इस सहकारी ने भारतीय खाद्य निगम की ओर से अनाज खरीदने के लिए Biscomaun से एक करोड़ रुपये प्राप्त किए थे. भारतीय खाद्य निगम ने Biscomaun को अनाज की खरीद करने के लिए तीन करोड़ रुपए दिए.

Sidarth सहकारी श्री संजय सिंह के एक साथी द्वारा संचालित होती है.  कहा जाता है कि सिद्धार्थ सहकारी ने रोहतास कैमूर, बक्सर और भोजपुर जिले से खुले बाजार से अनाज खरीदा और Biscomaun के माध्यम से भारतीय खाद्य निगम को भेजा. संजय सुनील सिंह के एक करीबी सहयोगी है. आरोप लगाया जाता है कि इस एजेंसी ने इस प्रक्रिया में भारी अवैध पैसा बना लिया है.

यह भी आरोप लगाया गया है कि सिद्धार्थ सहकारी ने रोहतास जिले के सार्वजनिक वितरण केन्द्र के साथ मिलीभगत में गरीबों को बांटे जाने वाले अनाज को भारतीय खाद्य निगम को भेजा है.

बिहार सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है.  यह पता चला कि इस सहकारी के पास न तो कोई गोदाम है और न ही कोई कर्मचारी.  यह आरोप लगाया गया है कि इस सहकारी को अभी हाल ही में स्थापित किया गया है जिसका एकमात्र उद्देश्य पैसा बनाना हैं. शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि संजय सिंह, Biscomaun के अध्यक्ष सुनील सिंह के व्यापार भागीदार है.

पाठकों को पता है कि BISCOMAUN में भ्रष्टाचार का भूत काफी लंबे समय से चल रहा है. एक घटना जिसका मीडिया में कम ही जिक्र हुआ है, निदेशक(इंडस्ट्रीज) ने केन्द्रीय कोलफील्ड लिमिटेड को एक पत्र लिखा था जिसमें Biscomaun में कोयला वितरण संबंधी भ्रष्टाचार का उल्लेख था. इस पत्र में निदेशक ने सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड को सूचित किया है कि निरीक्षण के दौरान पाया गया है कि Biscomaun ने कोयला उन्हें आवंटित किया जो उद्योग या तो अस्तित्व में नहीं हैं या वर्तमान में बंद हो गए हैं.

यह सर्वविदित है कि छोटे उपभोक्ताओं को कोयले के वितरण के लिए Biscomaun को राज्य की एजेंसी के रूप में नामित किया गया है. यह सूचना प्राप्त होने के बाद सीसीएल ने बिहार सरकार से कहा कि या तो वह कोयला वितरण की निगरानी करे या इस उद्देश्य के लिए Biscomaun एजेंसी को निलंबित कर दे.

यह उपयुक्त समय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Biscomaun की ओर ध्यान केंद्रित करें और इस प्रतिष्ठित संस्थान को भ्रष्टाचार मुक्त करने संबंधी उपाय करें.

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