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सहकारी बैंकों को माध्यम के रूप में लुभाने का प्रयास

अब समय आ गया है कि सहकारी बैंक सतर्क हो जाएं.  कुछ बेईमान तत्व अज्ञात शहरी सहकारी बैंक से गठजोड़ करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे कि उसके माध्यम से काला धन जमा किया जा सके. नकदी की कमी और वैश्विक बनने की उत्सुकता से, डर है कि, शहरी सहकारी  बैंक इस तरह के लालच के शिकार न बन जाएं.

हाल ही में महाराष्ट्र के सतारा स्थित शहरी सहकारी बैंक में  इस तरह की एक अजीब घटना सामने आई है.  स्विट्जरलैंड का ज्यूरिख स्थित एक ट्रस्ट बैंक का 49 फीसदी शेयर खरीदना चाहता था.

भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आइ.) का प्रस्ताव ठुकरा दिया.  कारण बताया गया कि मंजूरी के लिए 2.5 करोड़ रु की राशि  बहुत छोटी है.  लेकिन सरकार यह समझने में नाकाम रही कि एक विदेशी ट्रस्ट सहकारी बैंक में इस तरह की रुची  क्यों दिखा रहा है.

इस ट्रस्ट का मालिकाना हक लिचेंस्टाइन रियासत के पास है. यह वही छोटी सी रियासत है जो दुनिया भर के और खासकर भारत के टैक्स चोरों के लिए स्वर्ग साबित हो रही है. इस रियासत मे दर्जन से अधिक बैंक हैं जहां शक है कि कई भारतीयों ने करोड़ों डॉलर जमा किये हैं.

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