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सहकारी अधर में: सारस्वत के बाद एस.वी.सी. की बारी

देश की तीसरी प्रमुख शहरी सहकारी बैंक “शामराव विट्ठल सहकारी बैंक” के अध्यक्ष श्री सुरेश हेम्मादि ने कहा कि वे एक वाणिज्यिक बैंक में बदल सकते हैं. भारतीय सहकारिता से बातचीत में बैंक के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि बैंक का नाम नहीं केवल “लोगो” बदला है. बैंक के बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी है और नया लोगो लक्ष्य को पाने के लिए तैयारी है.

इससे पहले, सारस्वत सहकारी बैंक ने पूर्ण वाणिज्यिक बैंक में परिवर्तित होने का प्रयास किया था. भारतीय सहकारिता से बातचीत में इसके अध्यक्ष एकनाथ ठाकुर ने यूसीबी के ढांचे को एक बिंदु के बाद विकास के लिए प्रतिबंधात्मक बताया. हालांकि इसका प्रयास अभी फलीभूत होने वाला है.

हेमादि के अनुसार, वे भारतीय रिजर्व बैंक से नियामक स्पष्टीकरण का इंतजार करेंगे और बाद में एक औपचारिक प्रस्ताव के साथ रिजर्व बैंक के पास जाएंगे.

बैंक के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास जोशी दावा किया है कि बैंक देश में सहकारी बैंकिंग कारोबार के 4 प्रतिशत भाग को नियंत्रित करता है और अगले साल में अपनी बैलेंस शीट में 45 हजार करोड़ रुपए की बढोत्तरी करना चाहता है.

एसवीसी की देश भर में नौ राज्यों में शाखाएं हैं और इस साल नई शाखाएं भी खोलनी हैं. बैंक का 75 प्रतिशत व्यापार एमएसएमई को ऋण के रूप में है और केवल 13 प्रतिशत खुदरा ऋण में है. बैंक को पिछले वित्त वर्ष में 103 करोड रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. रुपये . चालू वित्त वर्ष में 17,500 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार रहा. बैंक के पांच लाख से अधिक ग्राहक हैं जिसमें 60 हजार चालू खाता धारक है.

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