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सहकारिता पंचायत की विकसित अवधारणा हैः प्रबंध निदेशक,इफको

इफको भारत में सफल सहकारिता का उदाहरण प्रस्तुत करता है.  अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गरिमा स्थापित करते हुए इफको की कहानी भारत में संकटग्रस्त सहकारिता को पुनःस्थापित करने के लिए एक प्रेरणाश्रोत है.  इंडियनकोओपरेटिव.काम को दिए एक साक्षातकार में इफको के प्रबंध निदेशक श्री यू.एस. अवस्थी भारत में सहकारिता आन्दोलन की पीडा ऑर इफको द्वारा अपनाए गए उपाय के बारे में बताते है.

प्र.  भारतीय सहकारिता की पीडा क्या है?

उ.  भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने सहकारिता आन्दोलन को समाज के पिछडे वर्ग की सहायता के लिए एक उपयुक्त साधन समझा.  उन्होंने चाहा कि यह आन्दोलन वास्तव में पूर्ण स्वराज की चेतना के विस्तार की अवधारणा थी.

प्र.  परन्तु गावों तक पहुंचने के लिए पन्चायती राज की व्यवस्था है.

उ. सहकारिता आन्दोलन इस अर्थ में एक कदम आगे है कि पन्चायत हर गांव में नहीं हो सकती लेकिन सहकारी समिति चलाने के लिए केवल ११ लोगों की जरूरत है.  यह आन्दोलन दूरस्थ गावों तक पहुंच्ने की क्षमता रखता है यदि अवधारणा में दम हो.  सहकारिता आन्दोलन पश्चिम देशों में उन दिनों प्रचलित एनजीओ की तरह है.

प्र.  सहकारिता आन्दोलन का विस्तार किस कारण से रुक गया?

उ.  एक सहकारी समेते को यह समझना चाहिए कि इसके कार्यकर्ता इसे सदस्यों के न्यास के रूप में चलाते हैं जिसमें पेशेवर होने की भावना को पोषित करना होगा.  हमें लाभ भी अर्जित करना होगा. कोई वाणिज्यिक इकाई बिना लाभ कमाए जीवित नहीं रह सकती.

प्र.  बदलाव व्यक्ति से आता है या विचार से?

उ.  व्यक्ति की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है परन्तु उसे सबको साथ लेकर चलना होगा.  उसे सबके सहयोग की आवश्यकता है.  पूर्ण सहमति बनाना जरूरी है.  यह तब बनती हैजब सहकारिता के लक्ष्य को सभी लोग समझ जाएं.

प्र.  आम सहमति कैसे उपलब्ध होती है?

उ.  चुनाव समय पर होने चाहिए ऑर यह निश्चित ही स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होने चाहिए.  नीतियों को लागू करने में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए.  ऑरों के बारे में तो नहीं जानता लेकिन यहां इफको में प्रबंध निदेशक की भी सीमा केवल दो करोड की है.  पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण है ऑर सभी बातें समितियों के समक्ष प्रस्तुत होनी चाहिए.

प्र.  इफको के कार्य करने का तरीका क्या है?

उ.  लक्ष्य पूरी तरह निर्धारित ऑर पारिभाषित होना चाहिए.  सबके बीच संवाद लगातार होते रहना चाहिए.  बोर्ड की बैठक भी बार बार होनी चाहिए.  इन सबसे एक ऐसा वातावरण बन गया है के इफको में बोर्ड के सदस्य पेशे की भावना का लमर्थन करते हैं.  फिर कार्य करने के लिए आचार पुस्तिका की आवश्यकता होती है.  हमारे पास मानव संसाधन, अंकेक्षण, वित्त, आदि की आचार पुस्तिकाएं हैं ऑर प्रत्येक कार्य उनमें वर्णित दिशा निदेशों का कडाई से पालन करते हुए किया जाता है.  पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है.

प्र.  संकटग्रस्त सहकारिता के लिए कोई संदेश?

उ.  मैं  सबसे अपील करता हूं कि भूतकाल को भूल जाएं ऑर आज से नए शिरे से शुरुआत करें.  नियमों का सम्मान करें ऑर पूर्ण पारदर्शिता बरतें.  सफलता आपके चरण चूमेगी.

प्र.  सहकारिता आन्दोलन के प्रतीक के रूप में आरम्भ आप ही करें.

उ.  मैं एक कार्यपालक हूं,  सहकारिता नेता नहीं.  लेकिन मैं अपनी राय देने में पीछे नहीं रहूंगा, यदि जरूरत पडे.  मैं अपना हर सहयोग देने के लिए तैयार हूं जिससे की यह एक विश्वसनीय आन्दोलन बन सके.

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2 Comments

  1. aaj india mein credit co operative societys ki lahar dod padi hein mein aise mein corporate jagat ki tarah societies ki credit kahin kharab nahin ho jaye aur logo mein vyapat sahakarita ke viswas ko thesh nahin pahunche iske liye kargar kadam uthaye jane aavyashyak hein iski prkriya ko prabhavi banane ki jarurat hein jaise pramotro ki s p janch karvaye ki kahin woh kisi tarah ke aaparadhik mamle mein lipt to nahin hein woh society sanchalan ki kshamata rakhate hein ya nahin is prkar ki aur jankariya hasil karane ke bad hi society ka registration kiya jana chahiye.
    Ram singh rao
    mananging director
    umeed credit & thrift co operative society ltd ajmer

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