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बिहार सहकारी आंदोलन की भूमि : राज्यपाल

बिहार के राज्यपाल श्री रमाकांत कोबिंद ने कहा कि बिहार लंबे समय से सहकारिता का राज्य रहा है और यह गर्व की बात है कि चार राष्ट्रीय स्तर की सहकारी महासंघों की बोर्ड की बैठक पटना में हो रही है। कोबिंद ने बिहार में शुक्रवार को पटना के पॉश इलाके में स्थित पांशा होटल में राज्य सहकारी बैंक की स्मारिका के विमोचन अवसर पर कहा।

इस अवसर पर हाई प्रोफाइल सहकारी नेता समेत राज्य के सहकारिता मंत्री अलोक महेता, एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव और अन्य लोग मौजूद थे।

राज्यपाल ने बिहार में 32 साल के बाद बिहार राज्य सहकारी बैंक को बोर्ड बैठक आयोजित करने पर बधाई दी। “सहकारिता जीवन का एक तरीका है और यह दलितों की स्थिति में सुधार करने की क्षमता रखता है”, उन्होंने कहा।

उन्होंने राज्य की पैक्स सोसायटी द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और कहा कि सहकारी आंदोलन महिलाओं को सशक्त बनाएगा।

एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह ने राज्यपाल को समारोह में भाग लेने पर धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी भागीदारी सहकारी आंदोलन से जुड़े लोगों को प्रेरित करेगी। यादव ने कहा कि मैं राज्यपाल को लंबे समय से जनता हूं। सिंह ने बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह को भव्य समारोह का आयोजन करने पर बधाई दी।

सहकारिता मंत्री, आलोक मेहता ने कहा कि राज्य की नीतियों में परिवर्तन की वजह से कल्याणकारी गतिविधियों में कमी आई है उससे उत्पन्न व्यवसायीकरण ने संस्थाओं को कमजोर किया है। उन्होंने अश्वासन दिया कि मृत पड़ी सहकारी समितियों को पुनर्जीवित किया जाएगा। लेकिन सहकारी नेताओं को पारदर्शी होने की जरूरत है।

राज्यपाल का स्वगत करते हुए बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह ने उनको धन्यवाद दिया और कहा कि विधानसभा सत्र चलने के बावजूद भी उनकी मौजूदगी ने सहकारी उद्देश्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। किसान और सहकारिता हमारी पहली प्राथमिकता है, सुनील ने कहा।

नफस्कॉब के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने अन्य सहकारी नेताओं की सुनील सिंह से सिख लेने को कहा और बताया कि हमें राज्यों में इस तरह के सहकारी समारोह का आयोजन करते रहना चाहिए।

बिहार राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष ने मेहमानों को धन्यवाद दिया।

 

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