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बिस्कॉमॉन: सरकार सुप्रीम कोर्ट में छद्म युद्ध हारी

सुनील सिंह को बिहार में बिस्कॉमॉन में शीर्ष पद पर कब्जा करने से रोकने के प्रयास बुधवार को विफल साबित हो गए है क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनाव की तैयारी में व्यवधान उत्पन्न करने के उद्देश्य से प्रेरित याचिका को खारिज कर दिया।

अब राज्य के शीर्ष व्यापार मंडल (बिस्कॉमॉन) के निदेशक मंडल के चुनाव के लिए नामांकन का काम  आगे बढ़ेगा। नामांकन सोमवार को निर्धारित है जबकि चुनाव 23 नवंबर को होना हैं।

बिहार सरकार और विशेष रूप से सहकारी मंत्री रामाधर सिंह ने बिस्कॉमॉन के पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह  को बिस्कॉमॉन से दूर रखने को  व्यक्तिगत मुद्दा बना लिया  था।

विशाल सिंह को एक प्रॉक्सी के रुप में इस्तेमाल करते हुए, सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पेश कर  पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें 2008 में 188 चुने गए प्रतिनिधियों के जरिए मतदान की पुरानी व्यवस्था से चुनने के पक्ष में फैसला सुनाया गया था।

न्यायाधीश गोखले और न्यायाधीश पटनायक की बेंच ने याचिका को अस्वीकार करने में ज्यादा समय नहीं लिया। भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए सुनील सिंह ने कहा कि कुछ सेकंड के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

सरकार द्वारा किए गए अलग-अलग प्रयासों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिस्कॉमॉन चुनाव के मामले में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कुल मिलाकर नौ बार इस मामले को अस्वीकार कर दिया गया है।

महान सहकार्मी स्व. तपेश्वर सिंह के बेटे और अब  सुनील सिंह के एक करीबी सहयोगी रणजीत सिंह ने कहा कि बिहार सरकार ने विशाल की सलाह को मानकर एक गलती की है। सहकारी मामलों में  विशाल अभी अपरिपक्व है, उन्होंने कहा।

विशाल सिंह से संपर्क करने का प्रयास विफल रहा, जब भारतीय सहकारिता डॉट कॉम ने उनसे बात करने के लिए फोन किया तो उन्होंने वापस फोन करने का वादा करके भी संपर्क नही किया। इस बीच सुनील सिंह निर्णय को लेकर काफी उत्साहित है,और वह उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में लगे हुए है। हालांकि इससे काफी मुश्किल स्थिति भी बनती है क्योंकि 188 में से 170 सदस्यों ने मेरे प्रति निष्ठा दिखाई है, उन्होंने कहा। उन्होंने अपने पत्तों को संभाल कर रखा है जिससे उनके साथियों का मोहभंग न हो जाए।

लेकिन उन्होंने सहकारी मंत्री रामधार सिंह को ललकारा की अगर वे बिस्कॉमॉन चुनाव में अपना भाग्य आज़माने की कोशिश करेंगे तो वे उन्हें पटखनी देकर रहेंगे। उनके साथियों में से एक ने कहा कि मतदाताओं के बीच सुनील सिंह के दबदबे को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी सुनील सिंह से भिड़ने में काफी कठिनाई हो सकती है।

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