विशेष

प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी को खुला पत्र

भारतीय cooperators नए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री के बारे में चिंतित हैं. संविधान के तहत संवैधानिक जनादेश (97 वां संशोधन) अधिनियम 2011 को लागू करने की सख्त जरूरत को देखते हुए यह स्थिति वास्तव में अपेक्षित है. इस अपील का औचित्य महाराष्ट्र राज्य में लिए गए कुछ कदम से दृढ़ है.

महाराष्ट्र विधानमंडल और राज्य प्रशासन द्वारा संवैधानिक जनादेश के निम्न उल्लंघन करने के लिए उपचारात्मक उपाय लंबे समय से अपेक्षित हैं. राज्य प्रशासन खुलकर संवैधानिक जनादेश के कार्यान्वयन का विरोधी है जिसका लाभ आगामी चुनाव में सहकारी समितियों पर पकड़ बनाकर सत्तारूढ़ दल को मिलेगा.
1. हजारों सहकारी समिति के बोर्डों ने उनके कार्यकाल को जरूरत से अधिक बढा दिया है और विधानमंडल ने एमसीएस अधिनियम 1960 में प्रावधान करके अनिश्चित काल के लिए उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया गया है. [अनुच्छेद 243ZJ (2) का उल्लंघन]
2. डेमोक्रेटिक सदस्य नियंत्रण और स्वायत्त समितियों को प्रोत्साहित करने के संवैधानिक जनादेश के विपरीत (धारा 14 के प्रावधान) सहकारी समिति के रजिस्ट्रार को उप नियम निर्दिष्ट करने के लिए मनमाने ढंग से एकमात्र शक्ति दी गई है. (अनुच्छेद 243ZI का उल्लंघन)
3. संवैधानिक शब्द “अधिकृत व्यक्ति” (एमसीएस अधिनियम 1960 की धारा 77A) के दुरुपयोग से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर सहकारी समितियों का प्रबंधन करने के लिए एक नौकरशाह नियुक्त करने पर संवैधानिक प्रतिबंध निरस्त करना [अनुच्छेद 243ZL उल्लंघन]

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