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नाबार्ड के परिपत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

सभी राज्यों ने राज्य में प्राथमिक क्रेडिट बैंकों को व्यापार एजेंट में बदलने के नाबार्ड के फरमान से इनकार कर दिया है।

पहले गुजरात और अब केरल ने नाबार्ड के परिपत्र का विरोध किया है। भारतीय सहकारिता ने कई अन्य राज्यों में इस कठोर निर्देश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखा है।

जी एच अमीन ने अहमदाबाद में आयोजित सहकारिता कांग्रेस में नाबार्ड के परिपत्र को लेकर कड़ी आलोचना की थी और अब केरल ने स्पष्टतौर पर नाबार्ड के परिपत्र को खारिज कर दिया है और पीसीबी को इसके साथ अनुपालन नहीं करने को कहा है।

सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने केरल मसले पर कठोर शब्दों में बयान जारी किया है।

नाबार्ड के परिपत्र जारी करने बाद केरल में प्राथमिक सहकारी समितियों के अस्तित्व पर संकट के बादल छा गए है। राज्य में पीसीबी ने क्रेडिट के जमा संग्रहण और विस्तार में काफी सफल योगदान दिया हैं।

केरल ने जारी किए गए परिपत्र पर बहुत कुछ कहा है, राज्य के सहकारिता मंत्री ने इससे पहले भी फरवरी में नाबार्ड की सिफारिशों पर आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था।

केरल के वित्त मंत्री ने भी राज्य भर में प्राथमिक सहकारी बैंकों के एक बड़े नेटवर्क के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए परिपत्र को वापस लेने के लिए नाबार्ड से आग्रह किया है।

राज्य में वित्तीय परिदृश्य में पीसीबी बहुत अच्छा कार्य कर रही है। राज्य में सहकारिता आंदोलन के दौरान 1,603 प्राथमिक सहकारी बैंक पीसीबी लगभग 60,000 करोड़ रुपये की जमा राशि के साथ कार्यरत है।

भारतीय सहकारिता को मिली जानकारी के अनुसार चुनावी वर्ष में यू.पी.ए. सरकार सब्सिडी के चमत्कार पर भरोसा कर रही है।

नाबार्ड का उद्देश्य अपने इस कदम से जिला सहकारी बैंकों के साथ किसानों की पहचान करना है, जिससे सब्सिडी को पारित करना आसान होगा। वे यह नही समझ पा रहे है कि उनके इस कदम से पीएसबी जैसी संस्थाएँ नष्ट हो जाएंगी जो कि लंबे समय से किसानों के साथ खड़ी है।

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