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डीएमएस का नियंत्रण सहकारी युद्ध मे बदला

बिहार कॉपरेटिव मिल्क प्रॉड्यूसर्स फेडरेशन (कॉमफेड) दिल्ली दुग्ध योजना पर नियंत्रण की होड़ में प्रसिद्ध अमूल को पीछे छोड़ सकता है।

डीएमएस पर नियंत्रण के लिए जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष पहले से ही प्रयास  कर रहे है। लेकिन अब अमूल के अलावा डीएमएस चलाने के लिए एक और सहकारी संगठन बिहार का कॉमफेड भी सामने आ गया है।

डीएमएस केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का हिस्सा है और यह काफी समय से संकट से ग्रसित है। इसी पृष्ठभूमि में  कृषि मंत्रालय ने निगमीकरण के लिए एक कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया है।

अपने उत्पाद सुधा की सफलता से उत्साहित कॉमफेड बिहार से बाहर भी उपक्रम करने का फैसला किया है। इसके प्रबंध निदेशक सोमवार को दिल्ली में थे ताकि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने उत्पादों की बिक्री के लिए वितरकों का चयन कर सकें।  

कॉमफेड के एमडी हरजोत कौर ने कहा है कि उनका संगठन किराये के आधार पर डीएमएस को लेना चाहते हैं और यह दिल्ली में उनके व्यापार और इससे सटे क्षेत्रों का विस्तार की योजना के साथ में फिट बैठता है।

कॉमफेड एक विशाल संगठन है और वह पूर्वी भारत के एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है। यह लोकप्रिय ब्रांड ‘सुधा’ दूध और उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पादों का मालिक है। सुधा मिठाईयाँ  काफी लोकप्रिय हैं और  बिहार के निवासियों के लिए यह खुशी की खबर हैं कि वे अब दिल्ली में भी सुधा मिठाईयों का मजा ले सकते है।  

दो ब्रांडों अमूल और सुधा के बीच की लड़ाई से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक विवाद की याद ताजा हो जाती है, हालांकि उनका इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है।

 

 

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