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आरबीआई: रुपया बैंक के लिए अभ्यंकर का दाव

पिछले मंगलवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ रघुराम राजन के साथ Nafcub के अध्यक्ष की बैठक में पुणे आधारित रुपया बैंक की दुर्दशा का मामला विशेष चर्चा के लिए आया. यह बैंक जमाकर्ताओं और ईमानदार सहकारों को सामान रूप से सता रहा है.

डॉ अभ्यंकर ने बताया कि रुपया सहकारी बैंक जैसे कुछ बड़े पैमाने लेकिन बीमार शहरी सहकारी बैंक लाइसेंस के रद्द होने कि स्थिति का सामना कर हैं. कोई अन्य यूसीबी विलय होने की स्थिति में नहीं है.

आगे विस्तार में बताते हुए डॉ अभ्यंकर ने कहा, “यदि रुपया सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो पूरा यूसीबी क्षेत्र ‘सुनामी’ का सामना करेगा और कई अन्य छोटे और मध्यम शहरी सहकारी बैंकों के जमाकर्ता भाग सकते हैं”.

उन्होंने डॉ राजन का आह्वान किया कि वे रुपया बैंक को विलुप्त होने से बचाने के लिए कुछ करें. डॉ राजन ने बीएसएफ और अपने वरिष्ठ सहयोगियों से सलाह कर इस पर विचार करने का आश्वासन दिया.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 22 अगस्त 2014 से 21 नवंबर 2014 तक – तीन महीने की अवधि के लिए रुपया सहकारी बैंक पर लगाये गए निदेशों की अवधि बढ़ा दी है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रुपया सहकारी बैंक के निदेशक मंडल को निलंबित किए जाने और उस पर सख्त नियमों को लगाए जाने के लगभग बीस महीनों के बाद, बैंक को किसी अन्य के साथ विलय करने की योजना में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है.

सारस्वत बैंक के साथ बैंक के विलय का प्रस्ताव अभी तक पारित नहीं किया गया है जबकि इलाहाबाद बैंक के साथ इसके विलय के लिए कदम एक लंबित रिपोर्ट के कारण अटक गया है.

इस सहकारी बैंक को वित्तीय वर्ष 2013-14 में 613 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ हैं.

गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बढने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बैंक को पिछले साल प्रशासकों के तहत रख दिया था. भारतीय रिजर्व ने बैंक से पैसे की निकासी पर रोक लगा दिया जिससे बैं की 36 शाखाओं के 6 लाख ग्राहकों के बीच हडकंप मच गया.

शुगर आयुक्तालय के निदेशक श्री संजय कुमार भोसले और विद्या सहकारी बैंक के अध्यक्ष विद्याधर अनासकर को सहकारी बैंक के प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया था.

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