आईसीएविशेष

आईसीए बोर्ड: सहकारी नेता इस बार चुनाव के लिए तैयार

भारतीय सहकारी नेताओं ने इस वर्ष अक्टूबर से नवंबर के लिए निर्धारित आईसीए बोर्ड के चुनाव के लिए खुद को तैयार करने में लगे हुए हैं। भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बातचीत में शीर्ष सहकारी समिति एनसीयूआई के अध्यक्ष ने आगामी चुनाव पर किसी भी प्रकार का फैसला केवल जुलाई के बाद लिए जाने की बात कही।

“अभी उस चुनाव में काफी समय बाकी है और हम मई में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी कांग्रेस के आयोजन में व्यस्त रहे हैं”, डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा।

लेकिन एनसीयूआई अध्यक्ष ने आईसीए बोर्ड के लिए एक आम सहमति के उम्मीदवार होने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत में सहकारिता आंदोलन बहुत मजबूत है और दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समिति में हमारे प्रतिनिधि की आवश्यकता है, उन्होंने कहा।

भारत ने 2011 में मेक्सिको में कैनकन के चुनाव में ईरान के लिए आईसीए बोर्ड की सदस्यता को खो दिया। इस पद के लिए टकराहट होती नजर आ रही थी, जिसमें इफको नामांकित श्रीनिवास गौड़ा और एनसीयूआई के अध्यक्ष चन्द्रपाल सिंह के बीच मुकाबला की स्थिति बनी हुई थी।

हालांकि घटनाओं के नाटकीय मोड़ में चन्द्र पाल ने दौड़ से अपने को वापस ले लिया था लेकिन गौड़ा के नेफेड घोटाले के कारण चुनाव में ईरान की जीत हुई।

बुरे अनुभव को दोहराने से सहकारी नेता बचने की कोशिश कर रहे है और पूरी सावधानी बरत रहे है।” किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले, हम सभी क्षेत्रों के नेताओं से सलाह लेंगे”, चन्द्र पाल ने भारतीय सहकारिता डॉट कॉम को कहा।

“अभी लंबा समय है और तब तक बहुत पानी नदी में प्रवाहित हो गया रहेगा”, श्री यू एस अवस्थी, इफको के प्रबंध निदेशक ने कहा जब भारतीय सहकारी ने आईसीए बोर्ड के चुनाव के लिए उनकी तैयारियों पता करने के लिए उससे संपर्क किया। इफको ने पिछले आईसीए बोर्ड पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

कॉपरेटर्स के एक क्रॉस सेक्शन ने भारतीय सहकारिता को बताया कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में चन्द्र पाल सिंह यादव की भागीदारी बढ़ने के साथ ही वह इफको नामांकित व्यक्ति के लिए खुला मैदान छोड़ सकते है। अगले लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी द्वारा जारी सूची में उनके नाम की घोषणा की गई है।

लेकिन श्री सिंह ने राजनीतिक व्यस्तताओं के कारण सहकारी समितियों में किसी भी तरह से कम भूमिका निभाने से इनकार किया है। बल्कि मुझे लगता है कि अगर मैं लोकसभा के लिए चुना गया तो सहकारी क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में अधिक प्रभावी और सहायक हो पाउँगा, उन्होंने भारतीय सहकारिता को बताया।

अध्यक्ष सहित आईसीए के बोर्ड पर बीस सदस्य हैं। कोई भी देश कितना बड़ा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बोर्ड में सिर्फ एक सदस्य हो सकता है। आमसभा के प्रतिनिधियों की संख्या भिन्न हो सकती हैं, लेकिन कभी भी किसी देश से 25 से अधिक डेलीगेट नही हो सकते है। भारत की आम सभा में 12 प्रतिनिधि है।

भारतीय सहकारी डॉट कॉम पहले लिखा था कि वैश्विक सहकारी आंदोलन के मामले में भारत सबसे आगे है, प्रयास करके आम सहमति के उम्मीदवार को चुना जाना चाहिए।

भारतीय सहकारी डॉट कॉम से बातचीत में भी आईसीए एशिया प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक डॉ. चान हो चोई ने यह देश के लिए कहा था न कि व्यक्तिगत मामलों के लिए।

आईसीए सहकारी दुनिया भर में कार्य करते हुए एकजुट करने का प्रतिनिधित्व करती है यह एक स्वतंत्र गैर सरकारी संगठन है।

1895 में स्थापित आईसीए के अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सक्रिय 94 देशों से 254 सदस्य संगठन है।

यह एक साथ सहकारी दुनिया भर में लगभग एक अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close